मेपकॉस्ट में “मिशन कर्मयोगी एवं iGoT” पर कार्यशाला सम्पन्न

वर्तमान में शासन के समक्ष आर्थिक प्रगति, पर्यावरण संरक्षण एवं समानता से जुड़े सरोकारों आदि के कारण अनेक चुनौतियाँ हैं। इसके अतिरिक्त, आचारव्यवहार, सत्यनिष्ठा, जवाबदेही, लोगों की भागीदारी आदि जैसे व्यवहारगत पहलू भी हैं। इस कारण हमें ऐसे लोकसेवकों की आवश्यकता है,जो न केवल अद्यतन ज्ञान से युक्त हों, वरन नागरिकों को संतुष्टि देने के लिए हर संभव प्रयास करने को तत्पर हों। यह विचार कार्यशाला की अध्यक्ष्ता कर रहे डॉ प्रवीण दिघर्रा वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख मानव संसाधन प्रभाग ने अपने उद्बोधन में कहा। इसके लिए शासकीय सेवकों को अपने विचारों तथा दृष्टिकोण को आधुनिक बनाना होगा तथा अपनी दक्षता में भी सुधार करना होगा।

मेपकॉस्ट में “मिशन कर्मयोगी एवं iGoT” पर परिषद के अधिकारी कर्मचारियों के क्षमता निर्माण के अंतर्गत परिषद के एचआरडी प्रभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला की गई। भारत सरकार के कैपेसिटी बिल्डिंग कमीशन के तहत कार्यरत ‘मिशन कर्मयोगी’ की अवधारणा के अनुरुप, लोकसेवकों को पेशेवर एवं प्रगतिशील, ऊर्जावान एवं सक्षम, पारदर्शी एवं तकनीकी की समझ रखने वाले, सृजनशील एवं रचनात्मक, कल्पनाशील एवं नवाचारी व सक्रिय एवं विनम्र होना चाहिए। इससे वे भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए अधिक सक्षम बन सकेंगे।

कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के रूप में श्री अनादि मिश्रा, सलाहकार, मिशन कर्मयोगी, स्टेट नोडल संस्थान आर.सी.वी.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी, भोपाल ने प्रतिभागियों को मिशन कर्मयोगी के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए iGoT के माध्यम से किस प्रकार लोक सेवक ऑनलाइन माध्यम से प्रशिक्षित होकर अपनी दक्षता में वृद्धि कर सकता है के बारे में विस्तृत जानकारी करते हुए पोर्टल पर सभी को हैंड्स ऑन प्रशिक्षण प्रदान किया गया। कार्यक्रम में प्रतिभागियों का मार्गदर्शन करते हुए श्री शैलेन्द्र सिंह डाबी प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी एचआरडी ने बताया की नागरिक सेवाओं के प्रदाय में नई तकनीकी के बढ़ते उपयोग के चलते, लोकसेवकों को हमेशा कुछ नया सीखने के लिए तत्पर रहना होगा। कुल मिलाकर, इन आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु लोकसेवकों को उनके विशिष्ट कार्यक्षेत्र से सम्बंधित कार्यात्मक व व्यवहारगत क्षमताएं हासिल करनी होंगी। भारत को पाँच ट्रिलियन अमरीकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के राष्ट्रीय प्रयासों में यदि राज्य को सक्रिय सहभागी बनना है, तो प्रशिक्षण की वर्तमान पद्धति को विस्तृत करना होगा ताकि उपरोक्त सभी पहलूओं को समाहित करते हुए क्षमताओं का विकास किया जा सके। श्री डाबी जी द्वारा मिशन कर्मयोगी, लोकसेवकों के गुण, और क्षमता निर्माण की अवधारणा, वर्तमान सीमाएँ, क्षमता निर्माण के उद्देश्य और रणनीति, विभिन्न विभागों की भूमिका एवं विभाग की जिम्मेदारियां, निगरानी, मूल्यांकन, वित्त पोषण और मिशन क्रियान्वयन की विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। म. प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की इस “मिशन कर्मयोगी एवं iGoT” कार्यशाला का उदेश्य यह था कि परिषद के लोकसेवकों को पेशेवर, ऊर्जावान, और नवाचारी बनाने के साथ-साथ नागरिकों को बेहतर सेवाएँ प्रदान करने में अधिक क्षमतावान हो सके और अपने कामो को अधिक गुणवत्तायुक्त बनाकर कार्य करने में सक्षम हो। कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने विशेषज्ञों से परिचर्चा कर अपनी कई जिज्ञासाओ का समाधान प्राप्त किया गया। इस तरह की परिषद के अधिकारियो कर्मचरियो की पहले चरण की “मिशन कर्मयोगी एवं iGoT कार्यशाला सम्पन्न हुई।

वर्तमान में शासन के समक्ष आर्थिक प्रगति, पर्यावरण संरक्षण एवं समानता से जुड़े सरोकारों आदि के कारण अनेक चुनौतियाँ हैं। इसके अतिरिक्त, आचारव्यवहार, सत्यनिष्ठा, जवाबदेही, लोगों की भागीदारी आदि जैसे व्यवहारगत पहलू भी हैं। इस कारण हमें ऐसे लोकसेवकों की आवश्यकता है,जो न केवल अद्यतन ज्ञान से युक्त हों, वरन नागरिकों को संतुष्टि देने के लिए हर संभव प्रयास करने को तत्पर हों। यह विचार कार्यशाला की अध्यक्ष्ता कर रहे डॉ प्रवीण दिघर्रा वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख मानव संसाधन प्रभाग ने अपने उद्बोधन में कहा। इसके लिए शासकीय सेवकों को अपने विचारों तथा दृष्टिकोण को आधुनिक बनाना होगा तथा अपनी दक्षता में भी सुधार करना होगा।

मेपकॉस्ट में “मिशन कर्मयोगी एवं iGoT” पर परिषद के अधिकारी कर्मचारियों के क्षमता निर्माण के अंतर्गत परिषद के एचआरडी प्रभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला की गई। भारत सरकार के कैपेसिटी बिल्डिंग कमीशन के तहत कार्यरत ‘मिशन कर्मयोगी’ की अवधारणा के अनुरुप, लोकसेवकों को पेशेवर एवं प्रगतिशील, ऊर्जावान एवं सक्षम, पारदर्शी एवं तकनीकी की समझ रखने वाले, सृजनशील एवं रचनात्मक, कल्पनाशील एवं नवाचारी व सक्रिय एवं विनम्र होना चाहिए। इससे वे भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए अधिक सक्षम बन सकेंगे।

कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के रूप में श्री अनादि मिश्रा, सलाहकार, मिशन कर्मयोगी, स्टेट नोडल संस्थान आर.सी.वी.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी, भोपाल ने प्रतिभागियों को मिशन कर्मयोगी के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए iGoT के माध्यम से किस प्रकार लोक सेवक ऑनलाइन माध्यम से प्रशिक्षित होकर अपनी दक्षता में वृद्धि कर सकता है के बारे में विस्तृत जानकारी करते हुए पोर्टल पर सभी को हैंड्स ऑन प्रशिक्षण प्रदान किया गया। कार्यक्रम में प्रतिभागियों का मार्गदर्शन करते हुए श्री शैलेन्द्र सिंह डाबी प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी एचआरडी ने बताया की नागरिक सेवाओं के प्रदाय में नई तकनीकी के बढ़ते उपयोग के चलते, लोकसेवकों को हमेशा कुछ नया सीखने के लिए तत्पर रहना होगा। कुल मिलाकर, इन आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु लोकसेवकों को उनके विशिष्ट कार्यक्षेत्र से सम्बंधित कार्यात्मक व व्यवहारगत क्षमताएं हासिल करनी होंगी। भारत को पाँच ट्रिलियन अमरीकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के राष्ट्रीय प्रयासों में यदि राज्य को सक्रिय सहभागी बनना है, तो प्रशिक्षण की वर्तमान पद्धति को विस्तृत करना होगा ताकि उपरोक्त सभी पहलूओं को समाहित करते हुए क्षमताओं का विकास किया जा सके। श्री डाबी जी द्वारा मिशन कर्मयोगी, लोकसेवकों के गुण, और क्षमता निर्माण की अवधारणा, वर्तमान सीमाएँ, क्षमता निर्माण के उद्देश्य और रणनीति, विभिन्न विभागों की भूमिका एवं विभाग की जिम्मेदारियां, निगरानी, मूल्यांकन, वित्त पोषण और मिशन क्रियान्वयन की विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। म. प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की इस “मिशन कर्मयोगी एवं iGoT” कार्यशाला का उदेश्य यह था कि परिषद के लोकसेवकों को पेशेवर, ऊर्जावान, और नवाचारी बनाने के साथ-साथ नागरिकों को बेहतर सेवाएँ प्रदान करने में अधिक क्षमतावान हो सके और अपने कामो को अधिक गुणवत्तायुक्त बनाकर कार्य करने में सक्षम हो। कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने विशेषज्ञों से परिचर्चा कर अपनी कई जिज्ञासाओ का समाधान प्राप्त किया गया। इस तरह की परिषद के अधिकारियो कर्मचरियो की पहले चरण की “मिशन कर्मयोगी एवं iGoT कार्यशाला सम्पन्न हुई।

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